Bhoot ki kahani hindi mai – मित्रों आज हम लोक प्रचलित भूत की कहानियों का संकलन लिख रहे हैं। यह किसी को डराने अथवा भय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नहीं लिखा जा रहा है। यह केवल मनोरंजन के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिखा जा रहा है। आशा है आप लोग इस कहानी को पढ़कर मनोरंजन कर सकेंगे , थोड़ा हंस सकेंगे , इसी उद्देश्य से यह लेख तैयार किया गया है।
कहानी से किसी की भावनाओं अथवा हितों को ठेस लगता है तो कृपया हमें सुझाव लिखकर बताएं। आशा करते हैं यह कहानी आपको पसंद आए –
मजेदार भूत की कहानी – Bhoot ki kahani
Read this interesting bhoot ki kahani in hindi below.
उत्तराखंड के बांदीपुरा जिले मैं एक छोटा सा कस्बा था। जहां गांव की कुछ आबादी रहा करती थी , जो पहाड़ों से लकड़ियां तथा फल – फूल का व्यापार किया करते थे और कुछ लोग खेती कर अपना जीवन निर्वाह कर रहे थे।
एक दिन की बात है गांव में अचानक एक बैल की मृत्यु हो जाती है , उसके कारण का पता किसी को नहीं चल पाता। उसके बाद धीरे-धीरे उस गांव में सूखा पड़ने लगा , पानी की कमी से खेती बंद हो गई , पेड़ – पौधे सूख गए। जिसके कारण फूल – फल भी उन्हें जंगल से नहीं मिल पा रहा था। लोगों के पास खाने की किल्लत और व्यापार करने का कोई साधन नहीं था।
कुछ लोग गांव से पलायन कर गए थे , किंतु अधिकतर लोग यह सोच रहे थे कि यहां अपना पुश्तैनी घर – गांव छोड़ कर हम कहां जाएंगे ? और क्या करेंगे ?
भाग्य भरोसे वह लोग गांव में रुके हुए थे।
सभी लोगों ने मंत्रणा कर राजा के पास अपनी मजबूरी और मदद के लिए हाजिर हुए। राजा को गांव के लोगों ने सारा हाल बता दिया और अपनी मजबूरी मैं उन्हें साथ देने के लिए राजी कर लिया। राजा ने तत्काल अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि इस गांव में किसी को पलायन करने की आवश्यकता ना पड़े अतः खाने-पीने अथवा अन्य उपयोगी सामानों की सुविधा गांव में प्रदान की जाए।

मंत्री ने राजकीय कोष से गांव में सभी के लिए भोजन , वस्त्र तथा अन्य आवश्यक सामग्री का प्रबंध किया। भोजन के लिए मस्जिद के मौलवी असलम को जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें आदेश दिया गया कि गांव वालों के लिए कम से कम दो समय बनाए और सभी को खिलाएं।
मौलवी साहब के मजे आ गए थे , अब उन्हें सीधे तौर पर राजकीय कोष से धन प्राप्त हो रहा था। मौलवी कुछ दिनों तक गांव वालों को ठीक प्रकार से खाना खिलाने लगा , किंतु धीरे-धीरे वह कंजूसी करता रहा और अपने लिए धन संचय करने लगा। वह भोजन करने आए लोगों के लिए कम भोजन बनाता और जल्द ही भोजन वितरण करता जिसके कारण काफी सारे लोग भूखे रह जाते।
मौलवी ने वह खाना भी कुछ दिनों में बंद कर दिया।
गांव के लोग अब अपनी फरियाद किसके पास लेकर जाते। वह गांव छोड़ भी नहीं सकते थे और कुछ कर भी नहीं सकते थे।
तभी उस गांव के रास्ते एक वेद पाठी ब्राह्मण गुजर रहा था। दोपहर का समय था , धूप तीव्र थी , वह गांव में जैसे ही प्रवेश किया उसे कुछ महसूस हुआ। चारों और वीरान , कोई लोग दिखाई नहीं दे रहा था। तभी उस ब्राह्मण ने एक घर में आवाज लगाई
ब्राह्मण – कोई है ?
एक बुजुर्ग घर से बाहर निकल कर ब्राह्मण को प्रणाम करता है और अपने आने का कारण पूछता है –
बुजुर्ग – ब्राह्मण देवता प्रणाम कहिए आप यहां कैसे आए हैं ?
ब्राह्मण – सब कुशल मंगल है ? इस गांव में कोई नजर नहीं आता क्या बात है?
बुजुर्ग – बस ब्राह्मण देवता सब ईश्वर का प्रकोप है सब लोग झेल रहे हैं ?
ब्राह्मण – ऐसा क्यों कहते हो ? क्या बात है ? स्पष्ट बताओ।
बुजुर्ग – कुछ साल पहले एक बैल अकारण और समय मर गई।
जिसके बाद पूरे गांव में सूखा और अकाल पड़ गया।
कुछ लोग यहां से पलायन कर गए और कुछ लोग यहां कष्ट भोग रहे हैं।
ब्राह्मण – ऐसे समय में आपको राजा से सहायता मांगने चाहिए।
बुजुर्ग – हंसते हुए , सहायता मांगी थी उन्होंने अपनी ओर से सहायता उपलब्ध करवाई किंतु , मस्जिद का मौलवी उन सभी धन को अपने लिए बचा कर रखता है।
उसका लाभ वह स्वयं ले रहा है , गांव वालों का हक , राशन – पानी सब मार रहा है।
ब्राह्मण – यह तो अनुचित कार्य कर रहा है ऐसा करने से उसे पाप लगेगा।
बुजुर्ग – अगर पाप लगने की उसे फिक्र होती तो वह ऐसा क्यों करता।
ब्राह्मण – आप मुझे उस मस्जिद का पता बता दीजिए मैं उस मौलवी को सबक सिखाऊंगा ।
मस्जिद का पता लेकर ब्राह्मण देवता वहां से सीधे मस्जिद की ओर निकल गए।
मस्जिद का रास्ता कब्रिस्तान से होकर गुजरता था। मौलवी कब्रिस्तान की ओर आता दिखाई दिया। ब्राह्मण देवता पेड़ की ओट में छुप गए और उसे सबक सिखाने का तत्काल रचना बना लिया। पंडित जी ने अपने झोले में रखे सफेद धोती को पूरे शरीर पर लपेट लिया और एक जिन्न का भेष बना लिया।
जिन्न के रूप में वह मौलवी के सामने आ खड़े हुए।
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मौलवी भय से कांपने लगा , ब्राह्मण ने समय का फायदा उठाया और मौलवी के मन मस्तिष्क पर हावी हो गए। वह उसे मारने के लिए कहते हैं मौलवी और भय के कारण पसीना – पसीना हो जाता है। वह जैसे ही मौलवी को मारने के लिए आगे बढ़ते हैं , मौलवी चरणों में गिर जाता है और अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए उपाय पूछता है। इस पर जिन्न के रूप में आए ब्राह्मण ने उसे गांव के लोगों को भोजन कराने की सलाह दी। ऐसा नहीं करने पर वह दोबारा आएगा और उसके प्राण लेकर वापस जाएगा कहते हुए ब्राह्मण वहां से चला जाता है।
अब क्या था मौलवी अपने वायदे के अनुसार रोज गांव वालों के लिए भोजन खिलाता और अब ऐसा कोई व्यक्ति नहीं बचता जिससे भोजन प्राप्त नहीं होता। गांव वालों ने वेद पाठी ब्राह्मण का धन्यवाद किया आज उसके कारण ही पूरे गांव का पेट भर रहा था। इधर मौलवी भी सोच रहा था जान बची तो फिर धन कमा लेंगे अगर जान नहीं बची तो धन कौन काम आएगा।
ऐसा सोचकर वह ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए और भी कार्य करने लगा।
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