In this post, you will be going to read Hindi stories for class 4 and 5 students with moral values. These are also Hindi stories for school going kids and students.
Hindi stories for class 4 and 5 with moral values
Below you will get two Hindi stories for class 4 and 5 students.
मेहनत करने की प्रेरणा
राजू बेहद गरीब बालक था। उसके मम्मी – पापा दूसरे लोगों के यहां मजदूरी करते। उसीसे उनका घर चला करता था। राजू अपने मां-बाप को देखकर।
जीवन से निराश हो गया था।
राजू के मम्मी पापा दिनभर परिश्रम करते तब जाकर कुछ पैसे मिल जाया करते थे। जिसके कारण राजू के मन में बुरे – बुरे विचार आया करते थे।
राजू अभी लगभग छह-सात साल का ही था।
इस उम्र में उसके विचारों में इतनी कटुता ठीक नहीं थी।
एक दिन राजू अपने कमरे में चारपाई पर लेटा था। आंखों में नींद नहीं थी , बस समय व्यतीत हो रहा था। कोने में मकड़ी का जाला लटका था , जिस पर एक मकड़ी काफी देर से नया जाला बनाने का प्रयत्न कर रही थी , और बार-बार गिर जा रही थी।
कुछ देर बाद उस मकड़ी ने नया जाला बनाकर तैयार कर लिया।
मकड़ी को ऐसा करता देख राजू ने सोचा –
जब मकड़ी इस प्रकार प्रयत्न कर।
अपना लक्ष्य हासिल कर सकती है तो मैं क्यों नहीं ?
इस विचार को अपने मन में राजू ने बसा लिया और जीवन में इतना परिश्रम किया आज वह डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में कलेक्टर के पद पर बैठा है।
मोरल/संदेश –
जीवन में सही प्रेरणा मिलने से लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

हिंदी का महत्व
भारत की आजादी कोई एक-दो दिन में नहीं मिली , इसके पीछे अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया। अपना पूरा जीवन इसमें खपा दिया , तब जाकर यह आजादी भारत के नसीब में आई है।
यह बात उन दिनों की है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस वर्मा में रहकर आजाद हिंद फौज की योजना रचना बना रहे थे। अंग्रेजों से निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए अपनी सेना का निर्माण कर रहे थे। नेताजी किस प्रकार छुप-छुप आकर वर्मा पहुंचे यह जग प्रसिद्ध है।
उस समय कोई भी राष्ट्र नेताजी का साथ नहीं दे रहा था।
इसलिए इन्हें गुप्त रूप से अपने सारे कार्य करने पड़ रहे थे।
वर्मा में रहते हुए जब नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन मजबूती से करना आरंभ किया , तब वहां के लोगों ने नेताजी के रहने और उनकी सहायता भोजन आदि की पूरी व्यवस्था कर रहे थे।
नेताजी को किसी प्रकार का कोई कष्ट ना हो इसका विशेष ध्यान रख रहे थे।
उन सभी का मानना था कि नेता जी अवश्य ही भारत को आजादी दिला कर रहेंगे।
नेताजी बंगाल से संबंध रखते थे , उनका पालन – पोषण बांग्ला परिवार में हुआ।
इसलिए उनकी मातृभाषा बंगाली थी इसके अलावा वह अंग्रेजी जानते थे , और कई अन्य भाषाएं जानते थे। किंतु उनकी हिंदी कमजोर थी अपनी हिंदी मजबूत करने के लिए वह वर्मा में रह रहे हिंदी भाषी लोगों से हिंदी सीखा करते थे।
उनका मानना था कि जल्द ही भारत आजाद होगा और अंग्रेजों के साथ अंग्रेजी भाषा का भी त्याग किया जाएगा। तब मात्र पूरब से पश्चिम , उत्तर से दक्षिण तक केवल हिंदी एकमात्र मुख्य भाषा के रूप में स्थापित होगी। मुझे ऐसे भारत में रहने के लिए हिंदी तो अवश्य ही सीखनी पड़ेगी। इस प्रकार के विचार नेताजी के थे जिससे प्रभावित होकर वहां के लोग नेताजी से भी अधिक विश्वस्त थे कि उन्हें आजादी अवश्य मिलेगी।
जो व्यक्ति इतनी दूर की बात सोच सकता है वह कुछ भी कर सकता है।
नेता जी के संकल्प का ही परिणाम है जो आज भारत आज़ाद और स्वतंत्र है।
अन्यथा आज भी गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा हुआ होता।
सारा देश उनके त्याग समर्पण को याद करता है और उनका ऋणी मानता है।
एडिसन की सफलता – Hindi stories for class 4 and 5
थॉमस अल्वा एडिसन प्रसिद्ध और जाने-माने वैज्ञानिक थे , उनकी प्रसिद्धि देश-विदेश तक थी। एडिसन अविष्कारों के कारण लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
उन्होंने जीवन जीने के तरीको को सुगम बनाने में विशेष योगदान दिया।
उनके आविष्कारों ने लोगों के जीवन को सुगम और सरल बना दिया।
एडिसन अविष्कारों की धुन दुनिया सुन रही थी।
अमेरिका के लिए गौरव की बात थी कि वह उनके देश के नागरिक थे , इसलिए उनका कद बढ़ना लाजमी था। अतः अमेरिका की सरकार ने एडिशन के सम्मान के उपलक्ष में रात्रि भोजन का आयोजन किया। जिसमें प्रसिद्ध हस्तियों और विभिन्न क्षेत्र से जुड़े महान व्यक्तियों को भोज में आमंत्रण किया गया।
पत्रकारों का विशाल समूह भी इस भोज में आमंत्रित था , कोई भी व्यक्ति ऐसे अवसर को अपने हाथ से जाने देना नहीं चाह रहा था। अतः पत्रकार भी बड़े उत्सुकता वश भोज में शामिल हुए। समय मिलते ही जब एडिसन का सामना पत्रकारों से हुआ , तब पत्रकारों के सवाल – जवाब का आरंभ हुआ और तमाम तरह के सवाल व्यक्तिगत , पारिवारिक ज्ञान विज्ञान आदि के प्रश्न एडिसन से पूछे गए। काफी समय बीतने के पश्चात एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि आप अपनी सफलता का श्रेय किसको देते हो ?
इस प्रकार के प्रश्न निरंतर दो – तीन पत्रकारों ने पूछ लिया
इस पर एडिसन रुके और उन्होंने कहा कि आपको क्या लगता है मेरी सफलता के पीछे किसका हाथ है ? भाग्य और परिश्रम का मिलाजुला संबंध ही मेरी सफलता का राज है। जहां भाग्य 1% कार्य करती है वही 99% आपकी परिश्रम कार्य करती है , बिना परिश्रम के भाग्य कभी साथ नहीं देता।
सभी लोग कार्य करते हैं , किंतु परिश्रम कम करते हैं और भाग्य के भरोसे अधिक रहते हैं , ऐसे व्यक्ति कभी भी सफल नहीं हो पाते। इसलिए व्यक्ति को परिश्रम अधिक से अधिक करना चाहिए, भाग्य तभी साथ देता है। व्यक्ति को पता होता है कि उनकी सफलता और असफलता में उनका स्वयं का कितना योगदान रहा। वही व्यक्ति बैठ कर बाद में रोता है जो परिश्रम से जी चुराता है , और फिर भाग्य पर दोष देता है।
पत्रकार एडिसन की बात सुनकर सराहना करते रहे और उनके अविष्कार और देश के प्रति उनके योगदान के लिए उनको – अनेकों अनेक बधाइयां देते हुए वहां से चले गए।
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