Life Failure
जीवन के कितने ही महत्वपूर्ण क्षण इन्सान भय से खो देता है. उसे भय रहता है अपनी गरीबी का, जो पोजीशन में उसे खोने का, जो धन है उसे खोने का. जो प्यार है उसे खोने का. इस भय के कारण इन्सान अपने आगे बढने वाला काम नही कर पाता है. उसे हमेशा ही यह डर सताता है की फेल हो गया तो क्या होगा? क्या सोचेंगे लोग? बस! इसी आलोचना और फेल होने के भय से वह कदम आगे नहीं बढ़ा पाता है.
इस भय पर जिसने भी पार पाया है. वह जीवन में सफल हुआ है. उसे वह हर चीज मिला है जो उसे चाहिए. वह उनको इसलिए मिला की उन्होंने अपने भय को हराया है. अपने भय से भयभीत होकर पीछे नहीं हटे बल्कि उनका मुकाबला किया और दुनियाँ के सामने उदाहरण पेश किया.
Life Failure — अवसर सभी को समान रूप से मिलता है.
अवसर समान रूप से सभी को मिलते है. ऐसा कभी नहीं होता की किसी को अवसर न मिला हो. इस अवसर को कोई भय से खो देता है. उसे सोचने में समय निकल जाता है और बाद में पछताता है. जबकि कुछ लोग उस अवसर को चुनौती के रूप में लेते है और अपने भय को दबाकर उस काम पर विजय पते है.
Life Failure – मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ जिससे आपमें वो भय जो है, वह समझ आ जाएगा और आप उसे दूर कर सकते हैं –
एक गांव में दो दोस्त रवि और शंकर रहते थे। उन दोनों के बीच में गहरी मित्रता थी। वे दोनों हर काम को साथ में करते थे। रवि को हर काम करते समय डर लगता था। उसका यह भय सताता था कि वह असफल हो जाएगा और लोग उसके मजाक उड़ाएंगे। वह अपने काम के सिवाय कुछ नहीं करता था। विपरीत, शंकर को काम करते समय ऐसा डर नहीं सताता था। वह किसी भी काम को करके छोड़ देता था, जो भी उसको मिलता।
एक दिन, उन्हें एक काम मिला जिसे उन्हें दूसरे गांव में जाना था। इस काम को करने के लिए एक शर्त थी। इस काम के लिए कोई पैसा नहीं मिलेगा और काम करने से पहले एक परीक्षण देना होगा। वही जिस टेस्ट में पास होगा, उसे ही काम मिलेगा। काम कुछ इस तरह का था कि पहले कुछ दिन काम करते रहना है जैसे-जैसे काम को करते जाते हैं। जितना ज्यादा काम में माहिर बनेंगे, उतना ही आगे बढ़ सकेंगे। बहुत से लोग इसलिए इस काम के लिए नहीं गए क्योंकि उसमें एक परीक्षण था और कुछ इसलिए नहीं गए क्योंकि उसके लिए पैसा नहीं मिलता था।
Life Failure — रवि हार कर पहले ही बैठ गया
रवि ने पहले ही उस काम को छोड़ दिया। उसने कहा, “टेस्ट में ही फेल हो गया तो, छोड़ दो यार। क्यों बिना मतलब के उन सब चक्करों में पड़ना, जो वही कर रहे हैं, वही अच्छा है। क्यों खतरा उठाना। कहीं ऐसा न हो कि इधर से भी जाओ और उधर से भी।”
रवि ने असफलता के भय से पहले ही हार गया. शंकर जो की चुनौतियों का सामना करना अच्छा लगता था. उसको भी सभी ने मना किया. सभी ने सलाह दिया की उसे अपने काम पर ध्यान देना चाहिए. मगर शंकर को अपने आप पर विश्वास था, उसे पता था कि वह कर सकता है और वह कर भी गया.
शंकर उस काम में लगा रहा. पहले तो वह बिना पैसों के काम करता रहा। लोग उसे ताने मारते और अलग-अलग सलाह देते, मगर वह अपना काम करता बढ़ता गया। और वह अंत में successful भी हुआ. अब रवि में और शंकर में जमीन आसमान का फर्क आ चूका था. रवि वही का वही था जबकि शंकर बहुत ही आगे निकल गया.
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