Moral Story in Hindi –
Moral Story in Hindi – थका हारा सोहन जब घर पंहुचा तो रात के 10 बज चुके था. उसके दो बेटे और एक बेटी खाना खा कर सो गई थी. उसकी WIFE नीता ही अभी तक जगी थी. वह अपने दरवाजे के पास खडी होकर सोहन के ही आने का इंतजार कर रही थी. घर में घुसते ही सोहन हाथ में लिया टिफन एक ओर रखा और बेड पर बैठ गया.
“क्या हुआ? कुछ हुआ क्या?” नीता ने सोहन का मुड देखते हुए पूछा. अक्सर सोहन आता तो आते बच्चो के बारे में पूछता पानी लाने को कहता. मगर आज उसने कुछ नहीं कहा.
“नहीं कुछ नहीं हुआ. तुम खाना लगाओ मैं हाथ मुह धो कर आता हूँ.” उठ कर बाथरूम के तरफ जाते हुए सोहन ने कहा.
“क्या हुआ बताइए न आज आपका मुड ठिक नहीं लग रहा. किसी ने कुछ कहा क्या?” खाना खाते हुए सोहन से रीता ने फिर पूछा.
“आज मेरे सुपरवाइजर ने गाली दिया मुझे. बोल रहा है की तू काम नहीं करता है. मैं दो मिनट के लिए TOILET गया था. इतने दिर में ही आ कर मुझे भला-बुरा बोलने लगा. ऐसे नौकरी नहीं होगी मुझसे.” उसके चेहरे पर एक दर्द था. एक हीनता थी, अपने ही नजर में गिर में गया था. चोट सीधे आत्मसम्मान पर लगी थी. “नौकरी है या गुलामी. 12-14 घंटे जी तोड़ काम करते है हमलोग उसके बाद फिर ये गाली गलौच और पगार 4-5 हजार रुपये मैं इस नौकरी से तंग आ गया हूँ. सुबह 6 बजे निकल जाओ दिन भर गधे की तरह मजदूरी करो और रात को 10 बजे वापस आओ. अपने बच्चो से भी ठिक से बात नहीं कर पाते है, लानत है ऐसी जिन्दगी पर.”
Moral story in Hindi – सोहन का अपने सपने के बारे में सोचना
“क्यों मैं लोगो की गालियाँ सुन रहा हूँ. इतना मेहनत करने पर भी तो परिवार ढंग से नहीं चल रहा. न तो बच्चो को अच्छा स्कूल में एडमिशन कराया, न उनको बढिया पहनाया. 5 साल बस खाने की जुटाने में निकल गया. 16 घंटे मैं अपना काम किया होता तो क्या से क्या कर देता. अपना रेस्टोरेंट खोलने का सपना, सपना ही रहा जाएगा. इतना पैसा आएगा कहा से. खाना बनाने का गुण तो मेरे खून में है ही मगर पैसे का वयवस्था कहा से होगा.
अगर एक रेड्डी लेकर रोड के किनारे ही लगा दू तो कैसा रहेगा. इतने पैसे का इंतजाम कर ही लूँगा. मगर ‘नहीं चला तो’. फिर तो यहाँ से भी गये वह से भी गये, खाने के लाले पड़ जायेंगे. जो खाना मिल रहा है वो भी बंद हो जाएगा…’हो जाएगा तो हो जाने दो वैसे कौन सा ‘राजा-महाराजा’ की जीवन बिता रहे है. अब तो जो होगा देखा जाएगा.’ मन में ही बात करता रहा.
मनुष्य सब से लड़ कर जीत लेता है. मगर अपने मन से हार हाता है मन स्थाई चीज मांगता है कुछ नया करने पर उसका विरोध करने लगता है. जिसने मन के बजाये दिल की सुन ली निकल पड़ेगा, अपनी धुन में बिना हारे, थके अपने लक्ष्य की ओर. सोहन भी इसी मन की सुनने में 5 साल निकाल दिया की क्या होगा. अगर सफल नहीं पायें.. इन्ही सब सोच में उसे कब नींद लगी पता ही नहीं चला.
Moral story – मशीन की तरह लगे रहे
5 साल पहले इस शहर में पहली बार आया था सोहन अपने वाइफ नीता और एक लड़के को लेकर. अपने घर को छोड़कर इसलिए चला आया की यहाँ आकर अपना एक छोटी सी नाश्ते और खाने की दुकान खोलेगा. खाना बनाने की कला उसकी खानदानी थी. कभी कोई गावं छोड़ कर बाहर ही नहीं निकला. मगर सोहन इन दीवारों में नहीं रहना चाहता था. वह दिवार तोड़कर शहर पहुच गया. यहाँ आने पर न तो दुकान की व्यवस्था हो पाई न उतने पैसे की. मजबूरन कंपनी में काम करना पड़ा. और तब से लेकर अब तक मशीन की तरह लगे रहे. सारा सपना कही पानी बबनकर बह निकला. व्यस्त जिन्दगी में फिर कभी सोचने को मिला ही नही.
सुबह उठा तो धुप निकल चुकी थी. बच्चे भी स्कुल चले गये थे. “क्या बात है आज लेट तक सोते रहे. काम पर नहीं जाना है क्या?” नीता ने सोहन को बेड से उठते हुए देखकर पुछा.
“नहीं, अब नहीं जाऊँगा” उसके बातो में आत्मविश्वास था. एक शक्ति और चेहर पर मुस्कान. सारी थकान खत्म हो गई थी और नई जोश भर गई थी
“तुम्हारे पास कितने पैसे होंगे.आज एक रेड्डी खरीद कर लाऊंगा. आज से अपना रेड्डी लगायेंगे.”
“ये अचानक कैसे? काम कब छोड़ा?’ नीता आश्चर्य चकित थी.
“काम को रात में छोड़ दिया. अब मुझे किसी और का मजदूरी नहीं करना है. मैं वो करूँगा जो मैं चाहता हूँ अपने सपने पूरा करूंगा. 16 घंटे उनके लिए मेहनत कर सकता हूँ तो अपने लिए क्यों नहीं. मैं जनता हूँ मैं इस काम को बहुत ही बढ़िया से कर सकता हूँ. तुम मुझ पर विश्वास करो.” उसे नीता को समझाते हुए बोला- “तुम्हारे पास जितने पासे है लाओ और मैं इंतजाम कर लूँगा.”
शाम को सोहन वापस लौटा तो एक नई रेड्डी और कुछ समान लाया. अब उसके चेहरे पर कोई थकान नहीं था. अपने काम करने का इतना उत्साह था की सारी थकान खत्म हो गई. नई ऊर्जा से शारीर भर गया. सारी रात इसी सोच में निकल गया. की कल मैं अपना काम शुरू करूँगा. अपना जो मैं चाहता था ‘’छोटा है तो क्या हुआ एक दिन बड़ा हो जाएगा.’
Moral Story – अपना काम शुरू करना
सुबह होते ही उसने अपना रेड्डी रोड के पास लगा दिया. काम पर जाने वाले मजदुर, स्टूडेंट के लिए गर्म-गर्म- नाश्ता बनाने लगा. शुरू-शुरू में कोई नहीं जानने पर कुछ कम ग्राहक आते. मगर उसके हाथ में कलाकारी था. उसमे तो खाना बनाने में पहले से ही महारत हासिल था. जो उस पर खाता उसका ग्राहक बन जाता. दिल से बनाता, अपना 100% उसमे लगा देता. धीरे-धीरे उसके ग्राहको की संख्या बढ़ने लगे. फिर उसने रेड्डी बंद कर वही पर छोटी सी दुकान कर लिया. अब तक उसके हजारो ग्राहक बन गए. फिर उसने अपने दुकान को और बड़ा बना दिया और टिफिन सेवा भी शुरू कर दिया.
Moral Story – इस कहानी का Moral
- जो हम करना चाहते है वही करे ,जिसे करने को दिल कहे वही करे. उसे ही छोटे-से-छोटे LEVEL पर शुरू करे. कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता.
- जो करना चाहते है उसे अभी तुरंत कोजिए. बाद पर कभी मत टालें.
- इस बारे मत सोचिये की सफल होंगे या असफल.
- आप तो सफल है क्यों की आप वही कर रहे है जिसे करने से आपको ख़ुशी मिल रही और ख़ुशी ही सफलता है.
- दुसरे क्या कहेंगे इस बात पर बिलकुल धयान न दे. दुनियाँ का काम है कहना आप अपना काम करे.
- जो भी करे उसमे अपना 100% दें. आधा-अधुरा मन से काम कभी नहीं करे.