Motivational Short Story Hindi – आपके सोच को बदल देगी यह कहानी

Motivational Short Story Hindi –

Motivational Short Story Hindi – यह घटना बहुत समय पहले की है। उस समय स्कूल और कॉलेज नहीं होते थे। बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल में जाते थे। गुरुकुल गाँव से दूर जंगल में स्थित था। सभी बच्चे ब्रह्मचर्य जीवन जीते थे और शिक्षा प्राप्त करते थे। जीविका चलाने के लिए वे गाँव-गाँव भिक्षा मांगते थे।

उस गुरुकुल में पढ़ाई के लिए एक विद्यार्थी ने नामांकन कराया। उसका नाम विद्याधर था। उसके साथ और कई लड़के ने भी नामांकन किया। उनकी पढ़ाई शुरू हुई। सभी छात्र मन लगाकर पढ़ाई में जुट गए। उस समय विद्यार्थी आश्रम की सफाई भी स्वयं करते थे। सभी अपने कामों में पूरी ईमानदारी से लगे रहते थे।

समय बीत गया। सभी लड़के अच्छे अंक प्राप्त करके अगली कक्षा में प्रवेश कर लिए। लेकिन विद्याधर नाम का लड़का हर साल फेल हो जाता था। उसके फेल होने के कारण उसके साथी छात्र उससे आगे बढ़ गए। विद्याधर उसी कक्षा में रह जाता था। उसके पिछले वर्ग के छात्र आगे बढ़ गए। इसे देखकर विद्याधर बहुत ही शर्मिंदा होता था। वह कई कोशिशें करता, लेकिन परीक्षा के समय सब कुछ भूल जाता। इस तरह 7-8 साल बीत गए। उसको पढ़ाने के लिए गुरुओं ने उसे अलग से पढ़ाना शुरू कर दिया, मगर कुछ भी परिणाम नहीं मिला। वह साल-बासर-साल फिर भी फेल होता रहा।

Motivational Short Story – सब उसे मंद्बुधि बुलाने लगे

उसको अब गुरुकुल में सभी लड़के मन्दबुद्धि कहने लगे। गुरु भी उससे परेशान हो गए थे। आखिरकार, एक दिन उसके गुरु ने उसे बुलाया और बोले – “विद्याधर, हमने अपने तरफ से तुम्हें पढ़ाने का बहुत प्रयास किया। ऐसा लगता है कि शिक्षा तुम्हारे भाग्य में है ही नहीं। इसलिए तुमको अब शिक्षा ग्रहण करके अपने पिता के काम-काज में हाथ बटाना चाहिए।” शिक्षा ग्रहण तुम्हारे बस की नहीं है. तुम्हारा सारा समान बांध दिया गया है. कुछ चना-चबेना भी है. रास्ते में भूख लगे तो खा लेना. आज तुम अपने घर जा रहे हो.”

विद्याधर कुछ नहीं बोला. उसके आखो से आसू धारा बह पड़ी. वह अपने तरफ से खूब मेहनत किया. फिर गुरूजी ने यह क्या कहा शिक्षा ग्रहण तुम्हारे बस की नहीं है. मैं कितना मंद्बुधि हूँ.

अपने सभी साथियों से विदा लिया और भारी मन से अपने घर की ओर चल पड़ा। एक-एक कदम से वह धरती में गड़ा जा रहा था। वह गुरुकुल से नहीं जाना चाहता था। घर जाकर वह पिता जी से क्या मुहँ दिखाएगा? क्या कहेगा कि उनका लड़का मंदबुद्धि है? उसको उसके गुरुकुल से निकाल दिया गया है। हाँ, उसके कदम घर की ओर बढ़ नहीं रहे थे।

Motivational Short Story – उसका सोच बदला गया.

काफी दूर चलने के बाद उसे भूख लग आई। उसे गुरु जी के दिए चबेने का ख्याल आया। वह एक गाँव के पास पहुँचा और वहाँ एक कुआँ था, वहीं पर रुक गया। उसने गठरी से चबेना निकाला और खाने लगा। खाने के बाद पानी पीने के लिए कुआँ के पास गया। जब वह पानी निकालने लगा, तो देखा कि जहाँ से रस्सी आ रही थी, वहाँ पर गड्ढा था। उसके दिमाग में एक बात चमक उठी। जब एक मुलायम रस्सी के बार-बार आने से पत्थर पर निशान बन सकता है, तो फिर बार-बार पढ़ने से मुझे विद्या क्यों नहीं आ सकती?

उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। उसके अंदर उर्जा भर गई और वह सोच लिया कि मैं भी पढ़ सकता हूँ। मैं भी शिक्षा प्राप्त कर सकता हूँ। जिस उदासी से वह घर की ओर जा रहा था, वह उस ख्याल से खत्म हो गया कि अब घर नहीं जाना है। वह आत्मविश्वास से भर गया और तेज कदमों से वापस गुरुकुल चल पड़ा। शाम होते-होते वह गुरुकुल आश्रम पहुँच गया।

Motivational Short Story – जब वह आश्रम पंहुचा

उसको देखकर सभी लड़के आश्चर्य चकित हो गए. आपस में बाते होने लगी. मंद्बुधि वापस क्यों आया है? विद्याधर सीधे गुरु के पास गया और प्रणाम किया।

“तुम अभी तक वापस नहीं गये?” उसके गुरु ने आश्चर्य चकित हो पूछा.

“गया था मगर गुरू जी में बीच रास्ते से वापस आ गया। गुरूजी, मैं वापस नहीं जाऊंगा। मैं खूब मन लगाकर पढ़ूंगा,” आत्मविश्वास से भरपूर विद्याधर विनम्रता से बोला।

Motivational Short Story – वह एक विद्वान् बन गया.

उसके आत्मविश्वास देख गुरूजी काफी प्रसन्न हुए. और उसे पढने का मौका दे दिया. विद्याधर अब मन से पढाई करने लगा. दिन रात, सुबह-शाम बस पढाई. सभी विद्याथी जब सो जाते थे तो भी वह पढता रहता और इस तरह उसने अपने मंदबुद्धि होने की बात झूठा साबित कर दी. आगे चलकर बहुत ही बड़ा विद्वान हुआ. और अनेको ग्रन्थ का रचना किया.

अभ्यास में ही शक्ति है. जितना अभ्यास करोगे उतना ही बेहतर बनोगे.
कभी हार मत मानो. जीत तुम्हारे सोच में ही है.
कोई तुम्हे क्या कहता है इस बात पर ध्यान मत दो. अपना काम करो.
कोई काम असम्भव नहीं है बस करने की जरुरत है.
आप क्या बनोगे यह बात आपकी सोच पर निर्भर है.

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