Short Emotional Story – एक कहानी वृद्धश्रम की

Short Emotional Story – एक कहानी वृद्धश्रम की

Short Emotional Story – मनुष्य अपनी इच्छाये पूर्ति करने के लिए, अपने सुख के लिए सारी हदें पार कर देता है. यह खास गुण “मनुष्य कहे जाने वाले प्राणी में होता है. यह मनुष्य इतना चालक, इतना स्वार्थी और निर्लज हो गया है की अपने जननी को भी नहीं पहचान पा रहा है. जिस पिता को ‘स्वर्ग से भी ऊँचा” कहा गया है. उन्हें घर से निकलते देर नहीं लग रही.

जो माता-पिता अपनी जवानी की कमाई, अपनी सारी-सुख सुविधा अपने चार बच्चो के पालन पोषण में लगा देते है. वही माता-पिता बूढ़े होने पर बच्चो पर बोझ हो जा रहे है. चार बच्चे मिलकर भी उनका खर्च नही उठा पाते. उनको दवा के लिए, दो वक्त के भोजन के लिए तरसना पड़ रहा है. बुढ़ापे में उनकी लाठी बनने के बजाये उनको वृद्धश्रम छोड़ देते है.

मैं उनके सामने जमीं पर बैठ गया. और भी औरते उनके आस-पास खड़ी थी. और सभी के पास ऐसी ही एक कहानी थी. उनका एक लड़का और एक लड़की थी. लड़के को पढ़ा-लिखा दिया और उसे के अच्छी सी job भी मिल गई. उसकी शादी भी धूम-धाम से हो गई. छोटी लड़की को भी पढ़-लिखा कर बढ़िया घर में शादी कर दिया. सब कुछ अच्छा चल रहा था. तभी अचानक एक दिन उनके पति की डेथ हो गया. उनके मरने के बाद से उनका समय ख़राब हो गया. घर में कोई पूछने वाला नहीं था. लड़का अपने बीवी में इतना व्यस्त हुआ की माँ का ख्याल ही खत्म हो गया. very sad love story in Hindi – प्यार में दगा दिया मैंने.

बहु को उनका काम पसंद नहीं आता. धीरे-धीरे उनसे घृणा होने लगा. रोज घर में कलह होने लगा. उनको न घर में कुछ छूने को मिलता, न घर में कहने को. उनके लिए घर से बहार एक कोठरी दे दिया गया. यहाँ तक की बच्चो को भी छूने नहीं देती.

Short Emotional Story – घर से निकल देना

फिर एक दिन आया. जब उनको देखना भी ख़राब लगने लगा और उनको शहर से दूर एक महिला वृद्धश्रम में रख दिया.

उनके पास एक छोटा-सा mobile है जिसमे न तो पैसा है और न ही किसी का call आता है. बेटी कभी-कभी कर देती है. सरकार के तरफ से 150 रूपये मिलता है. जिसे लाने जाने-आने में 50 रुपया लग जाता है. उसमे सुगर भी हो गया. उसका कहाँ से इलाज कराएँ. सरकार की भी योजनाये उनके पास नहीं पहुच पाती.

वहाँ 400-500 वृद्ध महिलाये थी जिनकी सबकी अपने एक कहानी थी. यह तो मात्र एक छोटे से राज्य की, छोटे से शहर की, छोटे से जगह की कहानी थी. इस देश में ऐसे न जाने कितनी कहानियां पड़ी है. मगर सभी के पास बस एक सवाल है – “क्या इसी दिन के लीये पाला-पोसा? 9 महीने पेट में रखा, अपनी सारी ख़ुशी लुटा दी इस दिन के लिए ?”

आपको यह story कैसे लगी कमेंट कर के बताये और फ्रेंड्स के साथ share करे. आपके पास भी ऐसी story है तो हमे भेजे हमलोग उसे publish करेंगे.

Leave a Comment