True Heart Touching Story – यह कहानी पढ़ कर रोने लगोगे
True Heart Touching Story – दोपहर का समय था. मई-जून की तपती धुप शरीर को जला रही थी. मैं अपने दुकान पर बैठा था. यात्री स्टेशन पर ट्रेनें देरी से आ रही थीं, और वही लोग स्टेशन पर थे जिनकी ट्रेनें देरी से आ रही थीं. हमारे स्टेशन पर ही हमारी श्मोशे-चाय की दुकान थी, और मैं वहीं बैठा था. मेरे 20 वर्षीय बेटा कभी-कभी हाथ बटाने आता था, लेकिन आज वह नहीं आया था. आज बहुत कम ग्राहक थे, इसलिए मैं इतने व्यस्त नहीं थे.
मैं दिनभर उन्हें देख रहा था, एक बुढ़्ढा आदमी जिनकी आयु शायद 65-70 साल होगी. उनके साथ एक औरत भी थी, जिनकी आयु 60 के आस-पास थी. उस आदमी ने एक मैला, उजला-सा कुर्ता-धोती पहना हुआ था और कंधे पर एक लाल गमछा लपेटा हुआ था, जो की इतना पुराना था कि उसका रंग बदल चुका था. उनके सर पर आधे बाल थे और हाथ में एक गठरी थी. शायद वे गांव से कहीं जा रहे थे.
True Heart Touching Story – उनका लम्बा सा इंतजार
वे लोग सुबह से ही स्टेशन पर बैठे थे जब भी कोई ट्रेन आती तो वह दोनों बड़े ही ध्यान से देखते. वह व्यक्ति उठ कर आने-जाने वाले रास्तो को बड़ी बेश्बी से देखता. फिर निराश होकर चला जाता. सुबह से दोपहर हो गया. वे लोग अभी वही बैठे थे.
शाम के 5 बज चुके थे. मैंने देखा कि वे अब भी वहीं बैठे थे, उसी जगह पर, कहीं भी हिले नहीं थे. अब मुझे भी जानने का इच्छा हो रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है? वे कहाँ जा रहे हैं? किसका इंतजार कर रहे हैं?
रात के 8 बज गये. चारो तरफ अँधेरा फ़ैल गया था. यात्री अपने घरो को जा रहे थे. स्टेशन की लाइट्स जल चुकी थी. तभी एक ट्रेन आई. यात्री एक-दुसरे को धक्का देकर आगे जाने लगे. इस समय सभी को ही जल्दी होंती है अपने-अपने घर जाने की. मगर वे लोग अभी वही बैठे थे. मैंने अपने दूकान को बेटे के हवाले किया और वहाँ चल पड़ा जहा वे लोग बैठे थे. “
True Heart Touching Story – बेटा लेने आएगा?
“आपलोग किसका wait कर रहे है?” मैं उनके पास जाकर पूछा.
पहले तो उन्होंने एक दुसरे का मुहँ देखा फिर उनकी पत्नी ने बोला – “हमारा बेटा हमें लेने आने वाला है. वह अभी तक आया नहीं. हमलोग उसी का इंतजार कर रहे है.”
“आपलोग को पक्का पता है की इसी स्टेशन पर बोले है आने के लिए. आपलोग ने फ़ोन नहीं किया उन्हें?” मैंने पूछा
वह व्यक्ति वैसे ही बैठे रहे थे, उनके चेहरे पर उदासी का प्रतीत हो रहा था। लेकिन माता जी के चेहरे पर अब भी इंतजार की छाया थी, उन्हें यह विश्वास था कि उनका बेटा अभी आएगा। “हां, वह तो यही कह रहे थे। फ़ोन तो हमारे पास नहीं है। हां, उन्होंने एक पता लिखकर दिया था,” फिर उन्होंने अपने पति से कहा, “पता दिखाइए ना, वो कहाँ रखे हैं? मैं कब से कह रही हूँ कि किसी से पता दिखा लीजिए।”
“ये लो बेटा, मेरे बेटे का पता है। उसने कहा था कि अगर वो देरी से आए तो किसी को दिखा देना। लेकिन उन्होंने किसी को दिखाया ही नहीं,” उन्होंने वह पता कागज मुझे देते हुए कहा।
True Heart Touching Story – बेटे के प्रति उम्मीद
उन दोनों लोग का चेहरा मैंने एक बार फिर देखा. उनमे एक आशा की हल्की उम्मीद दिखी.
मैंने वह पता लिया और पढने लगा. जैसे-जैसे उसको पढना शुरू किया मेरे आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा. मेरे होश उड़ गये. जब पढना बंद किया तो मेरे हाथ कांप रहे थे. सीना जोर-जोर से धड़क रहा था. क्या ऐसे भी पुत्र होते है? ऐसी भी संताने है? पूरी जवानी जिसे पलने पोसने में लगा दिया, आज बुढ़ापे में ऐसा कर जाएगा? मेरे दिमाग में हजारो प्रश्न उत्पन्न होने लगा.
True Heart Touching Story – बेटे का पत्र
ये मेरे माता-पिता हैं। मुझे पैसों की आवश्यकता थी, इसलिए मैंने अपना घर बेच दिया और उनसे कहा कि आप लोग भी मेरे साथ रहें। मैं इन्हें अपने साथ रखना चाहता हूँ। मगर मेरी पत्नी उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहती। अगर मैं उन्हें अपने साथ ले जाता, तो रोज-रोज झगड़ा होता। इसलिए मेरा निवेदन है कि आप उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ दें।”
मैंने उनके चेहरे पर फिर से नजर डाली। वह बोल रही थी, “मैं कब से बोल रही हूँ। यह पता दिखाओ। अब तक हम अपने बच्चे के पास थे न।”
“हाँ, सच कह रही हो,” उनके पति ने भी हल्का मुस्कराया।
“आप आज मेरे पास आइए, कल मैं आपको अपने बेटे के पास पहुंचा दूंगा,” मैंने भी अपने मन में तय कर लिया था। मैं उन्हें ‘वृद्धाश्रम’ नहीं भेजूंगा, बल्कि अपने पास ही रखूंगा।
मैंने धीरे से उनकी गठरी उठाई और अपने घर की ओर चला पड़ा।
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