True Story – एक शहीद का परिवार
जीवन और मृत्यु, यही सच्चाई है इस दुनिया की। इस जीवन में हम कुछ नहीं कर सकते, और फिर यह जीवन हलचल भरा हो जाता है। यहाँ तक कि यह हमें आने की खबर नहीं देता, और न हमें इसे समझने का मौका देता है। यह ना हमें आगे की भविष्य को देखने की अनुमति देता है, और न हमें पीछे छूटे परिवार की देखभाल करने का मौका देता है।
इस जीवन में बूढ़े माँ-बाप रोते हैं, जवान बीवी चूड़ियाँ तोड़ती हैं, और उस बच्चे को अपने पापा का नाम भी नहीं पता होता। जब वह बड़ा होता है, तो वह केवल दीवार पर लगी तस्वीर को ही देख पाता है।
चहकती हुई जिन्दगी ने 2 पल में एक सुनसान रेगिस्तान का रूप ले लिया। इस पर चाहे कितनी भी बरसात हो जाए, वह सुखा ही रहेगा। न तो सावन इस पर मरहम लगा पाएगा और न ही दो पल के लिए आने वाले मुसाफिर।
True Story – शहीद के माता-पिता का हाल
बूढी हो चुकी माँ, दरवाजे पर निगाहे गड़ाये बैठी है, आखें देख नहीं पा रही है, दिल मान नहीं रहा है, इसी रास्ते तो आता है वह. जरुर आएगा. ऐसे कैसे चला जाएगा अपनी माँ को छोड़ कर. यही तो आता था. माँ-माँ कह कर गले से चिपक जाता था. तो अब क्यों नहीं आ रहा. कहाँ है मेरा बच्चा. माँ हूँ न मैं पहले मेरे पास ही आएगा. आँखों से टपकती धारा कलेजे को पिस रही है। कौन समझता है कि अब उस बूढ़ी मां को वो कभी नहीं आएगा।
आंसू को अंदर ही पिने वाला बाप का सीना अब फटा हुआ है। हिलते-डंडे के सहारे चलते हुए, वह अपने बुढ़ापे की लाठी खो बैठे हैं। वह जिसके कंधों पर जाने का सपना देखते थे, वही कंधा अब दूसरों को सहना पड़ रहा है।
वह यह सोच रहे हैं कि कहां गया वो समय जब वह बोलता था, “मैं हूँ पापा, आपका सहारा।” वह सीना, हिम्मत, और ताकत का प्रतीक था, लेकिन अब सब कुछ उससे छिन गया है।
वह अपने शारीरिक स्वास्थ्य की परेशानियों से परेशान है, और अब वह ना तो घर में खुदा सकता है और न ही बाहर रह सकता है। वह कभी घर में बसता है और कभी बाहर जाता है, और वह नहीं जानता कि वह किसे ढूंढ रहा है। उसकी लाठी लड़खड़ाती है, और उसके पैरों की स्थिति बहुत खराब है। अब उसमें चलने की हिम्मत नहीं बची है।
True Story – पागल हुई पत्नी
तस्वीर को निहारती पत्नी। वहाँ पर एक जीवित लाश है। सभी सपने, सपने ही रह गए। ना वर्तमान का पता है, ना भविष्य का। अँधेरा ही अँधेरा हो गया है। हमने साथ में कितने सपने देखे थे। उसने हमसे अपने साथ जाने का वादा किया था। तो फिर क्यों अकेले चले गए? किसके साथ होने का सहारा है? एक पल के लिए तो मन किया कि आपके चिता पर बैठ जाऊं, अगर आप नहीं रहे तो मेरा क्या अस्तित्व है?” उसकी आँखों से बहने वाले आंसू वह गंगा जैसे हैं, जो कभी सूखते ही नहीं।
वह जिसकी सुंदरता की प्रशंसा पूरे गांव में होती थी, आज वह पागली की भेष में हैं। उसके पास ना बाल सवारने का सुझाव है, ना कपड़े के चुटकुले। ऐसा लगता है कि कितने ही दिनों से कुछ बदला ही नहीं है। उसकी वो सुंदरता, जो किसी की न होने वाली और अकेली हालत में है।
True Story – देशभक्ति का जूनून
आज से 1 महीना पहले विक्रांत शहीद हो गए थे, जो मेरे सबसे ख़ास दोस्त थे। हमारी दोस्ती ऐसी थी कि हम सब कुछ एक-दूसरे से बांटते थे। आज मैं उसके घर गया था, लेकिन वहाँ अब कुछ नहीं था, सिर्फ़ एक सुनसान जगह रह गई थी। उस घर में अब कोई समान नहीं था, और किसी के पास अपने शरीर की देखभाल करने का होश नहीं था। यह विक्रांत ही उनका एकल बेटा था, जिसे सभी बड़ा प्यार करते थे – घर के, गांव के सभी के। वह हमेशा अपनी स्थिति के बारे में बात करता था, लेकिन अब हमें पता नहीं है कि उसकी शहादत के बाद उनके घर के लोग कैसे जी रहे हैं।
विक्रांत देश की सेवा के लिए CRPF में छत्तीसगढ़ में तैनात थे, और वे सच्चे देशभक्त थे। उन्हें किसी और नौकरी की तलाश नहीं थी, उनका सपना था केवल फ़ौज में जाना और देश की सेवा करना। वे देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और आतंकवाद को रोकने का सपना देखते थे।
लेकिन क्या हुआ? उनकी शहादत का क्या हुआ? यह सब अब वहाँ के लोगों के अलावा किसी को नहीं पता है, क्योंकि अब उनके बारे में न्यूज़ कंपनियाँ नहीं बतातीं, सरकार के नेता भी उन्हें पहचानने का इरादा नहीं रखते, और सरकार से मिलने वाली मदद का पता नहीं कहीं गुम हो गया है। अब उनके बूढ़े माँ-बाप और बीवी कौन से चक्कर लगा रहे हैं, यह भी किसी को पता नहीं है।
यह एक सच्ची कहानी है – होली के दिन में मातम।
मैं इन विचारों में खोया था, तब भाभी ने चाय बनाकर लाई। उसका बच्चा मेरी गोद में था। मैंने चाय पी ली, फिर अपनी यादों में लिपट गया। होली का दिन था, और पूरी दुनिया रंगों में डूबी हुई थी। सभी अपने-अपने तरीके से रंग का आनंद ले रहे थे। तभी विक्रांत के घर से एक कॉल आया, और शोरगुल की वजह से कुछ सुनाई नहीं दिया दे रहा था। कुछ देर बाद, विक्रांत की पत्नी ने फ़ोन उठाया, और मैं उसके साथ बात करने लगा। वो मुझे बताई कि विक्रांत का दु:खद
True Story – किसको फर्क पड़ा इस शहादत का ?
मैंने टीवी on किया. उसमे न्यूज़ फ़्लैश होने लगे. सभी शहीदों का नाम, फोटो आने लगा. पुरे घर में हाहाकार मच गया. जो सुनता वही गिर पड़ता. किसी को होश नहीं था. आग की तरह पुरे गावं में फ़ैल गया. साउंड बंद हो गया. पूरा गावं उमड़ पड़ा. कोई पत्नी को सम्भलता तो कोई माँ-बाप को. कोई बेहोश पत्नी को पानी देता तो कोई दहार मरकर रोते पिता को.
आज होली थी पूरी दुनियाँ होली में व्यस्त थी बस कुछ घरो को छोड़कर.
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