Vasant Panchami Sarsawati Puja – वसंत पंचमी कब है|सरस्वती पूजा

Vasant Panchami Sarsawati Puja – को हम कितने ही नमो से जानते है. जैसे वसंत पंचमी, श्री पंचमी सरस्वती पूजा और भी बहुत सारे है नाम है. आज मई बता रहा हूँ वसंत पंचमी कब है, कहा और कैसे मनाया जाता है. कैसे माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. उनका क्या मंत्र है. कौन उनका पूजन करता है सारा  पर दिया जा रहा है.

वसंत पंचमी, जिसका अन्य नाम श्री पंचमी और सरस्वती पूजा है. यह माघ शुक्ल के पंचमी के दिन होता है. इसलिए इसे श्री पंचमी कहते है. वसंत ऋतु के आगमन भी होता है इसलिए इसे वसंत पंचमी भी कहते है और इस दिन माँ सरस्वती की पूजा होता है. इसलिये इसे सरस्वती पूजा भी कहते है.

वसंत पंचमी कब है 2024 तारीख

वसंत पंचमी 2024 की तारीख है 24 जनवरी, यानी शुक्रवार को। इस दिन, लोग आमतौर पर सरस्वती माता की पूजा करते हैं, विद्या की आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उनके प्रिय आइटमों जैसे कि किताबें, लेखनी, वीणा, और फूल पूजते हैं। इस दिन बच्चे भी स्कूल जाकर अपनी पहली लिखाई का आरंभ करते हैं।

Vasant Panchami सरस्वती पूजा – कौन और कहाँ मानते है यह पर्व

वंसत पंचमी त्यौहार को हिन्दू मानते है. इसमें स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर माँ सरस्वती की पूजा करती है. बच्चे, गावं-शहरो में माँ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करते है और विद्या के लिए प्राथना करते है.

बसंत पंचमी को उतरी भारत, पूर्वी भारत, पशिमोतर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में जहाँ पर हिन्दू रहते है. वहाँ पर बड़े ही उल्लास और धूम-धाम से मानते है.

वसंत पंचमी सरस्वती पूजा क्यों मनाते है

प्राचीन काल में भारत और नेपाल में पुरे साल को छह मौसमो में विभाजित किया जाता था. उसमे वंसंत का मौसम लोगो को सबसे सुहाना लगता था. वसंत में सरसों के खेत में फुल लह-लाहने लगते, आम के पेड़ो में मंजर आ जाता हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मंडराने लगती और जौ-गेहूं में बाल लगने लगते.

वंसत पंचमी त्यौहार को हिन्दू मानते है. इसमें स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर माँ सरस्वती की पूजा करती है. बच्चे, गावं-शहरो में माँ की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करते है और विद्या के लिए प्राथना करते है.

बसंत पंचमी को उतरी भारत, पूर्वी भारत, पशिमोतर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में जहाँ पर हिन्दू रहते है. वहाँ पर बड़े ही उल्लास और धूम-धाम से मानते है.

वसंत पंचमी सरस्वती पूजा क्यों करते है

प्राचीन काल में भारत और नेपाल में पुरे साल को छह मौसमो में विभाजित किया जाता था. उसमे वंसंत का मौसम लोगो को सबसे सुहाना लगता था. वसंत में सरसों के खेत में फुल लह-लाहने लगते, आम के पेड़ो में मंजर आ जाता हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मंडराने लगती और जौ-गेहूं में बाल लगने लगते.

इसी वसंत का स्वागत करने के लिए माघ महीने के 5वे दिन बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता था. जिसमे भगवान् विष्णु और कामदेव का पूजन होता. तब से ही बसंत पंचमी का पूजन चला आ रहा है. शास्त्रों में सी ऋषि पंचमी के नाम से उलेल्खित किया गया है.

वसंत पंचमी पौराणिक कथा

वसंत पंचमी की पौराणिक कथा भी है, जो इस प्रकार है-

भगवान् विष्णु के आदेश पर ब्रम्हा जी ने एक सुंदर सा सृष्टि की रचना की. मगर अपने ही सृष्टि से वह संतुष्ट नहीं हुए. उन्हें लगता था की कुछ कमी रह गई है. चारो तरफ मौन रहता और अज्ञानता छाया रहता. फिर ब्रह्मा जी ने भगवान् विष्णु से आदेश लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छडके, जल कण का पृथ्वी पर बिखरते ही उसमे कम्पन होने लगा. सारे प्राणी डर गए, चारो तरफ बिजलियाँ कडकने लगी. उसके बाद एक अदभुद शक्ति का प्राकट्य हुआ. यह प्राकट्य एक चतुभुजी सुंदर स्त्री का था. जिनके एक हाथ में विणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथो में पुस्तक और माला थी

ब्रह्मा जी ने देवी से विणा बजने का अनुरोध किया. जैसे ही उन्हों विणा की मधुर नाद किया. सारे सृष्टि के जीवो में वाणी आ गई. फुल खिल उठे, झड़ने गिरने लगे पवन चलने लगा और नदिया बहने लगी. तब ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी ‘सरस्वती’ कहा.

माँ सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी सहित अनेक नाको से पूजा जाता है. ये विधा और बूढी प्रदाता है. सनगी की उत्पति करने के कारन ये संगीत की देवी भी कहते है. वसंत पंचमी के दिन इस्नको जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते है. ऋग्वेद में माँ सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-

प्रणों देवी सरस्वती वाजेभिवर्जिनिवती धिनामाणीत्रयवतु

अथार्त ये परम चेतना है. सरस्वती के रूप में ये हमारी बुधि, प्रज्ञा तथा मनोवृतियों की संरक्षिका है. हम में जो आचार और मेधा है. उसका आधार भगवती सरस्वती ही है.

Vasant Panchami Sarsawati Puja – पूजन विधि

बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते है. प्रतिमा में माँ की मूर्ति या उनका कैलेंडर. बसंत पंचमी के दिन सुबह उठ कर. नहा धो कर बढ़िया से पूजा के थाली सजा ले. धुप- दीप, प्रसाद, पुष्प, चन्दन, पान का पत्ता, गुड, अछत, नारियल, ले ले. सुंदर पिला वस्त्र धारण करें. मंत्रो का उच्चरण करते हुए माँ की पूजा करे. और आरती करें.

माँ सरस्वती की इस मंत्र से पूजा करें

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।

वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।

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